गिरौदपुरि के माटि मा,बसाए सत के ढाल हे सतपुरुस गुरू बबा

सत्रहवि सदि आये बबा,बन महगू के लाल , गिरौदपुरि के माटि मा,बसाए सत के ढाल हे सतपुरुस गुरू बबा, धराए तय सतनाम मूरख रहि चोला हमर, बसाये सत गिया... thumbnail 1 summary
सत्रहवि सदि आये बबा,बन महगू के लाल,
गिरौदपुरि के माटि मा,बसाए सत के ढाल
हे सतपुरुस गुरू बबा, धराए तय सतनाम
मूरख रहि चोला हमर, बसाये सत गियान

सतखोजन करे तय तप,छोड़के मोह-काम
छाता-पहड़ रमाय धुनि,गिरौदपुरि के धाम
सबो मनखे कहे एके,सब जिव कहे समान
        परनारी माता सही,नारी घर के मान

घरघर फइले चीखला,नसा-दारु हे भाइ
मदिरा-माँस ल छोड़के,कर सतबीज बुआइ
जूवा तास हे अपजस,ओ धन काम न आय
चोरी-लुट  ले  दूर रइ,पुरही  तोर  कमाय

देव रहिथे सबोजघा,त काबर कहू जाय
अपन घर सुमरले ग तै,उहेच दरसन पाय
सब धरम एक बरोबर ग,माता पिता समान
ककरो चुगली झिन कर ग,इही गुरु के गियान

जैत खम्भा मान हमर,झन्डा हे अभिमान
सादा-सत के चीनहा,सत के हे परमान
छुवाछूत जग रोवत ल,करे बबा सनहार
सबगलि हहाकार रहिच,कर देहे परहार

धरति रोए कापे सुरज,रहीच मनुबीचार
सतनामे परकास रख,करदेहे उजियार
आसिस दे महुला बबा,जयजय हे सतनाम
मलरिहा परनाम करय,बाबा के परमान