मयारू तोर मया के बंधना म मोला बाँध डारे

                               मयारू तोर मया के बंधना म मोला बाँध डारे।  जिनगी भर मया करहूं कहिके मोला छाँद डारे।।  सुख-दु:ख के जिनगी ल संगे... thumbnail 1 summary
                              
मयारू तोर मया के बंधना म मोला बाँध डारे। 
जिनगी भर मया करहूं कहिके मोला छाँद डारे।। 

सुख-दु:ख के जिनगी ल संगे संग बिताबो। 
मया-पिरित के रिश्ता ल जिनगी भर निभाबो।। 
दाई-ददा के सेवा करके पुन हम कमाबो। 
छोटे-बड़े लईका ल मया के पाठ पढ़ाबो।। 

मया के डोरी म बंधाये हवन जईसे फुल माला। 
संगे-संग मिल जुल के रहिबो जईसे मेकरा जाला।। 
हमर जिनगी म कभू झन परतिस दु:ख के पाला।
मया के परमान हवय साक्षात हमर मुरली वाला।। 

रददा हे बड़ दूरिहा संगी झन जाबे तै भूल।
मयारू चंदा मोर पिरित के झुलना म झूल।। 
सुरता राखे रहिबे मयारू झन जाबे तैं भूल। 
मया के बंधना म फुले हवय मोंगरा फूल।।

मयारू तोर मया के बंधना म मोला बाँध डारे।
जिनगी भर मया करहूं कहिके मोला छाँद डारे।।