मयारू तोर मया के बंधना म मोला बाँध डारे।
जिनगी भर मया करहूं कहिके मोला छाँद डारे।।
सुख-दु:ख के जिनगी ल संगे संग बिताबो।
मया-पिरित के रिश्ता ल जिनगी भर निभाबो।।
दाई-ददा के सेवा करके पुन हम कमाबो।
छोटे-बड़े लईका ल मया के पाठ पढ़ाबो।।
मया के डोरी म बंधाये हवन जईसे फुल माला।
संगे-संग मिल जुल के रहिबो जईसे मेकरा जाला।।
हमर जिनगी म कभू झन परतिस दु:ख के पाला।
मया के परमान हवय साक्षात हमर मुरली वाला।।
रददा हे बड़ दूरिहा संगी झन जाबे तै भूल।
मयारू चंदा मोर पिरित के झुलना म झूल।।
सुरता राखे रहिबे मयारू झन जाबे तैं भूल।
मया के बंधना म फुले हवय मोंगरा फूल।।
मयारू तोर मया के बंधना म मोला बाँध डारे।
जिनगी भर मया करहूं कहिके मोला छाँद डारे।।