हमर छत्तीसगढ़ म तिहार मनाय के अलगे मजा होथे जम्मो परब ल आस्था अऊ बिस्वास के संग मनाथन ओसने सरद पुन्नी ल मनाय के परंपरा हे नवरात अऊ दसेरा के बाद अश्विन मास म पुन्नी के दिन सरद पुन्नी ल मनाथन,
पुन्नी के आगु दिन ले कातिक के महीना लग जथे उही दिन ले बिहनिया कातिक नहाय बर जाय के शुरू करथन,
पुन्नी म लक्ष्मी माता के उपास रहिथन माने जाथे आजेच के दिन लक्ष्मी माता ह जन्म ले रहिस,
बिहनिया नहा धो के सुग्घर कपड़ा लत्ता पहिर ओढ़ लक्ष्मी माता के पुजा के संगे संग उपास शुरू करथन,
संझा बेरा ले पंडाल म गाना बजाना होथे हमर संस्कृति के पहचान लोकगीत सुवा ददरिया जसगीत भोजली हमर संगी मन सुग्घर ढंग ले करथे,
रथिया अंजोरी रात म खीर बनाके रात भर खुल्ला रखके बिहनिया चार पांच बजे खाय के शुरू करथन। छत्तीसगढ़ के जम्मो डाहर सरद पुन्नी ल बड़ धुम धाम ले मनाय जाथे।