सुन संगी सुन गा संगवारी,घर म चुरत हे बरा-सोंहारी
रांधत हे बहिनी अउ महतारी,चारो कोती माते हे देवारी
लइका मन मारत हे किलकारी
झुमर के नाचे मोर चंदा पियारी राऊत नाचे बर आय हे दुवारी
चारो कोती माते हे देवारी मोहल्ला के मनखे होगे जुवारी
इही हमर समाज के बीमारी
दाई ददा करा मारत हे लबारी
चारो कोती माते हे देवारी
दारू पियत हे कका बनवारी
लात मारत हे अपन सुवारी
उजरत हे ओकर फुलवारी
चारो कोती माते हे देवारी
सुवा नाचत हे घर दुवारी
भाई दुज मनात हे दुलारी
इही हमर संस्कृति के चिन्हारी
चारो कोती माते हे देवारी
हसी खुसी मनावव देवारी
जुरमिल के नाचव इतवारी
झन मारव फोकट हुसियारी
चारो कोती माते हे देवारी