गरमी ले जम्मो कोती अब्बड मचत हे हाहाकार। जईसे सुरूज देवता गुस्सा म करत हे ललकार।। बहुत होगे प्रभु दिखा जा अपन ...
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गरमी ले जम्मो कोती अब्बड मचत हे हाहाकार।
जईसे सुरूज देवता गुस्सा म करत हे ललकार।।
बहुत होगे प्रभु दिखा जा अपन कुछू चमत्कार।
अब तो हमरो ईही कहना हे ये मउसम हे बेकार।।
सबो झन झांझ ले बचेके कर लव धियान।
घाम म घर ले झन निकलहु लईका,सियान।।
अतेक कलकल गरमी ले कब मिलही निदान।
लु लग जाही घाम म जादा झन घुमबे मितान।।
चिरई चुरगुन मरत हे झन कर प्रभु अतेक आहत।
भगादे प्रभु गरमी ल देजा जिनगी म कुछू राहत।।
गरमी म तीप गेहे मोर नाक मुह अऊ कान।
अब कतेक ल लिखव में होगे हव हलाकान।।