एसो के गरमी ह थररा डारिस,अंग अंग म आगी लगा डारिस

                               एसो के गरमी ह थररा डारिस। अंग अंग म आगी लगा डारिस।। खेत खार म पसिना बोहवत हे किसान के बेटा। लात ताने एसी म सो... thumbnail 1 summary
                              

एसो के गरमी ह थररा डारिस।
अंग अंग म आगी लगा डारिस।।


खेत खार म पसिना बोहवत हे किसान के बेटा।
लात ताने एसी म सोवत हे हमर देश के नेता।।


गरमी म हाल बेहाल हे संगी काला बतावव।
बरसा अऊ जुड के मउसम ल सोरियावव।।


अब तो बरसा के मउसम जल्दी आजातिस।
तहन गरमी के महा परकोप ह भाग जातिस।।


हे इंद्र देवता तै सुन ले मोर पुकार।

गरमी ले बाचे के कर दे कुछू जुगार।।