मोरे कारण तो होथे जी छत्तीसगढ़ के दुनिया मा नाव

जब तलक पैदा करथो अनाज. हर कोई करथे मोर पे नाज, मोरे कारण तो होथे जी छत्तीसगढ़ के दुनिया मा नाव, फेर नई बरसे ये बदरा जब. नई जानन कतना सताही ... thumbnail 1 summary
जब तलक पैदा करथो अनाज.
हर कोई करथे मोर पे नाज,
मोरे कारण तो होथे जी छत्तीसगढ़ के दुनिया मा नाव,

फेर नई बरसे ये बदरा जब.
नई जानन कतना सताही ये अब
सूखा ही सूखा चहुंओर हे,
नई जानन कब धरती के प्यास बुझही,

तरिया झरना सब सूखे ल लग गेहे.
ये सांस घलो अब रूके ल लग गेहे,
रहत रिहिस गरब से गरदन ऊपर,
वो शरम ले अब झुके ल लग गेहे,

साहूकार मन कर ले सताये हो.
दीयार के मय खाये हुये हो.
रौनक नई हे अब ये चेहरा मा,
सूखा आंधी ले नहाये हो,

खाद बीज अब मिलत नई हे.
फूल खेत मा खिलत नई हे.
कहा गे वो कोयल मोर पपिहा,
संगी मोर वो अब दिखे नई,

थक गेव हो कमा कमा के,
अपन हार अब मेह मान लूहू,
नई ते लटक के पेड़ मे जान अपन दे देहू...!