छत्तीसगढ़िया मुसवा बन लुकागे

गोठ करंव अत्ती बढ़  परदेसिया बिलई कस झपागे छत्तीसगढ़िया मुसवा बन लुकागे लगथे सोये रहिस तभे तो नी जागिस हाना कहावत अउ हांकी तन म लगा देथे आगी... thumbnail 1 summary

गोठ करंव अत्ती बढ़ 
परदेसिया बिलई कस झपागे
छत्तीसगढ़िया मुसवा बन लुकागे
लगथे सोये रहिस
तभे तो नी जागिस

हाना कहावत अउ हांकी
तन म लगा देथे आगी
सब कथे इहां के सुभाव बागी
फेर परदेसिया काबर रहिगे बांकी

अदला बदली के रित नदागे
करम के करमईता ह रिसागे
तभे किसनहा के खेत बेचागे
बाहिर के बेपारी घर म आगे

कंपनी  ल बनवा के
सरकार के आँखी ह मुंदागे
इहां के मन नई जानव कहिके
बहिरहा मन भितरियागे

का का गोठ ल बताव
कतेक ल मे सुनाव
सरकारी नऊकरी घलो हजावथे
काबर के आऊट सोर्सिंग नीति ह आवथे
  
सहीद के परवार लुलवावथे
नकसली मन सादी रचवावथे 
अपन समरपन करके
सरकारी नऊकरी ल पावथे