तुलसी बिहाव

जेठउनी के दिन ही तुलसी मईया के बिहाव होथे कातिक के महीना म तुलसी बिहाव के बहुत महत्ता हे, अऊ तुलसी बिहाव करे से सिधा भगवान तक पहुंचना होथे।... thumbnail 1 summary
जेठउनी के दिन ही तुलसी मईया के बिहाव होथे कातिक के महीना म तुलसी बिहाव के बहुत महत्ता हे, अऊ तुलसी बिहाव करे से सिधा भगवान तक पहुंचना होथे।
भगवान बिषणु के अवतार म सालिगराम ह तुलसी मईया से सुग्घर बिहाव करथे,
 मंडप मडवा सजथे घर दुवार साफ सफई करथन पडवा घड़ाय बर गन्ना लाके बिच अंगना म लगा देथन, रथिया कुन बिहाव के तियारी शुरू करथन दु ठन कुरसी लगा के तुलसी मईया अऊ भगवान सालिगराम ल बिठा के पुजा पाठ करके गन्ना ल काटे से पहली ओकर गोल घुम के चक्कर लगाथन,
 तहन गन्ना ल काट देथन गन्ना अऊ फल के परसाद बना के परोसी मन में बाटथन।
जेठउनी के दिन वे शादी बिहाव के पुछ परख बाढ़ जाथे गांव गांव लड़की देखेबर निकल जथे, 
कोनो बहु खोजे बर कोनो दमांद खोजे बर निकल जथे
आजे ले बिहाव करईया मन घलो करे के शुरू कर देथे।