"छत्तीसगढ़ के माटी"

                    मोर छत्तीसगढ़ के माटी। ,तोला बंदव कोटि-कोटि।। सुग्घर होथे इंहा खेती। ,बड़ सुहाथे अंगरा रोटी। पावन हे हमर भुईयां। ,सुन ले... thumbnail 1 summary
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मोर छत्तीसगढ़ के माटी।,तोला बंदव कोटि-कोटि।।
सुग्घर होथे इंहा खेती।,बड़ सुहाथे अंगरा रोटी।

पावन हे हमर भुईयां।,सुन ले मोर जहुरिया।।
इंहा ले झन जा दुरिहा।,खा ले तै ह किरिया।।

निर्मल हे मोर गांव। 
बर पीपर के छाँव।। 
कौशल्या दाई के पाँव। 
तै आजाबे मोर गांव।।

घर म आथे मेहमान। 
करथन अब्बड मान।। 
छत्तीसगढ़ ल तै जान। 
ईही   हमर पहिचान।। 

चल संगी चल मितान।
नागर धरले ग किसान।।
उगाबो सोनहा धान। 
आजाही नवा बिहान।। 

माटी हमर मितान। 
कहिथे हमर सियान।। 
भुईयां बर दव धियान। 
माटी बिन छूटही परान।।