जैसे, खीँचे बिन डोर के

जैसे, खीँचे बिन डोर के, चले न कोई तीर । वैसे बिन पुरुषार्थ के, निश्फल है तकदीर thumbnail 1 summary
जैसे, खीँचे बिन डोर के,
चले न कोई तीर ।

वैसे बिन पुरुषार्थ के,
निश्फल है तकदीर