पानी कहां झीरिया के तरिया के पानी अटावथे नहाय बर कोनो नई जावथे

गरमी हर आवथे पानी हर सिरावथे नरवा ह सुखा संगी अब बारी हे तरिया के पानी कम होगे नल के पीथे पानी कहां झीरिया के तरिया के पानी अटावथे नह... thumbnail 1 summary
गरमी हर आवथे
पानी हर सिरावथे
नरवा ह सुखा संगी
अब बारी हे तरिया के
पानी कम होगे नल के
पीथे पानी कहां झीरिया के
तरिया के पानी अटावथे
नहाय बर कोनो नई जावथे
केवट ढ़ीमर भर जावथे
मछरी पकड़े के काम आवथे
बोर के पानी कम होगे
लेबल गिरत जाथे
गांव म पानी नईहे
नदिया के पानी पीयथे
गजब दुर नदिया हवय
आवत जावत दिन पहागे
घर म तको खिसीयावत हे
गाड़ी बंईला हर दिन पहागे
गरमी आगे अईसन लागथे
सुरूज देव अपन असर दिखात हे
काम करे के मन नई लागथे
जीव घलो थर्रावत हवे
जीव ल सुखीयार बना डरेन
अपने हाथ म गलती करथन
थोकन गरमी लागत हवय
ताहन कुलर ल चलावत हन
अब गरमी के दिन हर आवत हे
सबो जगह के पानी ह सिरावत हे