बटागे जम्मो खेती किसानी, अउ बटागे बियारा

  बटागे जम्मो खेती किसानी , अउ बटागे बियारा तारी नई पटत हे भाई-भाई म, घर दुआर के करत हे बटवारा बटागे घर के कोंटा-कोंटा , नई बाचिस कोनो किना... thumbnail 1 summary
बटागे जम्मो खेती किसानी, अउ बटागे बियारा
तारी नई पटत हे भाई-भाई म, घर दुआर के करत हे बटवारा

बटागे घर के कोंटा-कोंटा, नई बाचिस कोनो किनारा
घर के छानी, खपरा के, होवत हे बटवारा

गिनागे थारी लोटा घर के, तमाशा देखे सब्बो पारा
रोस-रोस म दाई-ददा के घलो, कर डारिन बटवारा

चारो कोती कुलुप अंधियार, होही कइसे उजियारा
कुटका-कुटका घर के करके, कर डारिन बटवारा 

बाटत-बाटत देश बटागे, हर घर म अब होवत हे बटवारा 
जाति, धरम के नाम म होगे, भुइंया के बटवारा