तोर मेहनत के लागा ल, तोर करजा के तागा ल
उतार लेतेंव रे, मैं ह अपन दुवार म.........
देखत हावौं खेत-खार म जाथस तैं ह
मंझनी-मंझनिया देंह ठठाथस तैं ह
जाड़ न घाम चिन्हस, बरखा न बहार देखस
ठउका उही बेर तोला पोटार लेतेंव रे, मैं ह अपन.......
कहिथें बंजर-भांठा हरियाथे उहें
तोर मेहनत के पछीना बोहाथे जिहें
परबत सिंगार करय, नंदिया दुलार करय
ठउका इही बानी महूं दुलार लेतेंव रे, तोला अपन....
तैं तो दानी म बनगे हस औघड़ दानी
भले नइए तोर बर खदर के छानी
सुख ल तिरियाई देथस, दुख ल कबियाई लेथस
ठउका अइसनेच म तोला जोहार लेतेंव रे, मैं ह अपन....