लोक परब जेठउनी तिहार

छत्तीसगढ़ के लोक संसकृति म रचे बसे लोक परब "जेठउनी"  ल पुरा परदेस म बड़ सुग्घर ढंग ले मनाय जाथे,  कातिक महिना के अंजोरी पाख म एका... thumbnail 1 summary
छत्तीसगढ़ के लोक संसकृति म रचे बसे लोक परब "जेठउनी"
 ल पुरा परदेस म बड़ सुग्घर ढंग ले मनाय जाथे,
 कातिक महिना के अंजोरी पाख म एकादसी के दिन जेठउनी तिहार ल मनाथन, 
देवारी तिहार मनाय के गियारा दिन बाद जेठउनी तिहार ल मनाथे, 
ये तिहार ल तुलसी बिहाव के नाव ले घलो जाने जाथे जेठउनी तिहार ल देवउठनी 
एकादसी तिहार तको कहिथे, कहीं कहीं जेठउनी तिहार ल छोटे देवारी तको कहे जाथे। 
हमर गवई गांव म जेठउनी नाव ह जम्मो झन के जुबान म रहिथे लईका सियान जवान इहीच नाव ले जानथे। आज के दिन गन्ना खुसियार के बहुत महत्ता रथे अऊ लईका लोगन मन गन्ना तिहार घलो कहिथे। 
आज घर दुवार ल साफ सुथरा करके लिप पोत के सुग्घर अंगना म रंगोली बनाथन, 
दिनभर उपास रहिके संझा कुन हाथ गोड़ ल सुग्घर धो धुवा के अंगना दुवारी खोरपार बियारा म माटी के दिया जलाथन, 
 रथिया कुन चार ठक गन्ना ल अंगना म लगा के निचे म तुलसी मईया के मुर्ति ल रख के पुजा करथन, 
गन्ना के गोल घुम के चक्कर लगा के हसिया म काट देथन। 
लईका मन फटाका फोड़थे राऊत भईया मन घर घर जाके गाय ल मंजूर पांख के सोहई बाँधके दोहा पारथे अऊ असिस देके जाथे बड़ा मजा आथे।